ईदगाह कहानी PDF Free Download
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Name : | ईदगाह कहानी |
Uploaded : | 07 Apr 2022 |
File Size : | 1.3 mb |
Downloads: | 33 |
Category : | General |
Description: | ईदगाह कहानी PDF , ईदगाह कहानी PDF Download , ईदगाह कहानी PDF download link is given at the bottom of this article. You can direct download PDF of ईदगाह कहानी for free using the download button. ईदगाह कहानी PDF Summary नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप ईदगाह कहानी PDF प्राप्त कर सकते हैं। ईदगाह की कहानी बहुत ही प्रचलित है । इस कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था । वैसे तो आप सभी उन्हें मुंशी प्रेमचंद के नाम से ही जानते होंगे लेकिन उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। जब वे सात साल के थे, तभी उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। मुंशी प्रेमचंद ने हिन्दी साहित्य जगत में अपने साहित्य एवं समर्पण से बहुत उच्च स्थान प्राप्त किया है । आज भी उनके प्रसंशकों में वह बहुत अधिक लोकप्रिय हैं । ईदगाह कहानी का सारांश लिखिए PDF / Idgah Story in Hindi PDF – Summary हिंदी के उपन्यास सम्राट श्री प्रेमचंद की लिखी कहानी है ‘ईदगाह’ प्रेमचंद आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इस कहानी के ज़रिए आप छात्रों में त्याग, सद्भाव, विवेक जैसे उत्तम गुणों का विकास करना चाहते हैं। साथ ही बडे बुजुर्गों के प्रति श्रद्धा व आदर की भावना रखने की बात पर ज़ोर देते हैं। हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला, भोला – भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे हैं, वह अपनी बूढी दादी अमीना की परिवरिश में रहता है। उससे कहा गया है कि उसके माँ – बाप उसके लिए बहुत अच्छी चीजें लायेंगे। हामिद एकदम अच्छा और आशावान लडका है। उसके पैरों में जूते तक नहीं है। आज ईद का दिन है। सारी प्रकृति सुखदायी और मनोहर है। हामिद के महमूद, मोहसिन, नूरे, सम्मी दोस्त हैं। सब बच्चे अपने पिता के साथ ईदगाह जानेवाले हैं। आमीना डर रही है कि अकेले हामिद को कैसे भेजे? हामिद के धीरज बँधाने पर वह हामिद को भेजने राजी होती है। जाते वक्त हामिद को तीन पैसे देती है। सब तीन कोस की दूरी परी स्थित ईदगाह पैदल जाते हैं। वहाँ नमाज़ के समाप्त होते ही सब बच्चे अपने मनपसंद खिलौने और मिठाइयाँ खरीदकर खुश रहते हैं। हामिद तो खिलौनों को ललचायी आँखों से देखता है, पर चुप रहता है। बाद लोहे की दुकान में अनेक चीजों के साथ चिमटे भी रखे हुए हैं, चिमटे को देखकर हामिद को ख्याल आता है कि बूढी दादी अमीना के पास चिमटा नहीं है। इसलिए तवे से रोटियाँ उतारते उसके हाथ जल जाते हैं। चिमटा ले जाकर दादी को देगा तो वह बहुत प्रसन्न होगी और उसकी उंगलियाँ भी नहीं जलेंगी। ऐसा सोचकर दुकानदार को तीन पैसे देकर वह चिमटा खरीदता है। सब दोस्त उसका मज़ाक उडाते हैं। हामिद तो इसकी परवाह नहीं करता। घर लौटकर दादी को चिमटा देते हैं तो पहले वह नाराज़ होती है। मगर हामिद के तुम्हारी उंगलियाँ तवे से जल जाती थीं। इसलिए मैं इसे लिवा लाया कहने पर उसका क्रोध तुरंत स्नेह में बदल जाता है। हामिद के दिल के त्याग, सद्भाव और विवेक गुण से उसका मन गद्गद् हो जाता है। हामिद को अनेक दुआएँ देती है और खुशी के आँसू बहाने लगती है। You can download ईदगाह कहानी PDF by clicking on the following download button.ईदगाह कहानी PDF Download Link.. |